Wednesday, May 22, 2013

MY QUTISON

नील नभ को सजाया तुम्हारे लिये, 
इंद्रधनु माँग लाया तुम्हारे लिये, 
भूल जाओ तिमिर में न तुम राह को 
नेह दीपक जलाया तुम्हारे लिये,


मैंने देखा है सूरज निकलते हुये
शाम कि वक्त चुपचाप ढलते हुये
रूप का गर्व है आपको किसलिये
क्या न देखा कभी हिम पिघलते हुये


ये बर्फ का शहर है हम फिर भी जल रहे हैं,
अपना सा जिनको माना अब वो ही छल रहे हैं,
सबकी नहीं है क़िस्मत फूलों से खेलने की-
बस सोच के यही हम काँटों पे चल रहे हैं।

प्यार की होड़ में दौड़ कर देखिये,
झूठे बन्धन सभी तोड़ कर देखिये,
श्याम रंग में जो मीरा ने चूनर रंगी
वो ही चूनर ज़रा ओढ़ कर देखिये,
तुम अगर साथ दो-
हाथ में हाथ दो-
सारी दुनियाँ को हम छोड़ दें...
तुम हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।

तन तुम्हारा अगर राधिका बन सके, मन मेरा फिर तो घनश्याम होजायेगा।
मेरे होठों की वंशी जो बन जाओ तुम, सारा संसार बृजधाम हो जायेगा।

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत-पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल लुट गया घिस-घिस रीता तन चन्दन।
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है।
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन। 

शुभ संध्या मेरे दोस्तो……।

बेदाम चीज थी तो उसपे दाम क्यों लिखा,
तुम रति ही नही थी तो मुझे काम क्यों लिखा।
जब प्यार ही नही था तुझे हमसे फिर कहो,
चुपचाप हथेली पे मेरा नाम क्यों लिखा।

जब लिख ही लिया है तो इसे मत मिटाईए
और हो सके तो मेरा मुकद्दर बनाईये।
दरियादिली तुम्हारी ये बगिया करेगी याद,
मत फूल पे बैठा हुआ भंवरा उड़ाइए।

चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गये।

इस दिल पे लगा के ठेस जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गये..............................

Saare Shikwe Janab Tere Hai,
Dil Pe Saare Azaab Tere Hai,
Tum Yaad Aao To Nind Nahi Aati,
Nind Aaye To Saare Khwab Tere Hai

Socha tha jab milenge raah chalte kabhi,
dil ki baaten juban par na aane denge,
hamne lab khole bhi nahi aur wo sab jaan gaye,
khaamoshiyon ko samazne ki wo adaa unme aaj bhi hai…
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" ना तेरी है ना मेरी है
सब वक्त की हेराफेरी है ।"


मेरी ज़िन्दगी में बस दो ही काम है जो नामुमकिन है,
एक उन्हें पा लेने की तमन्ना और दूसरा उन्हें भूल जाने की ख्वाहिश...


न कहा करो हर बार की हम छोड़ देंगे तुमको,
न हम इतने आम हैं, न ये तेरे बस की बात है...!!


हम तो मुकद्दर के मारे थे हुजूर ,आपने जो देखा ,मेरी किस्मत बदल गयी...

हम तो टूटे मस्तूल के सहारे थे हुजूर,आपने जो थामा, कश्ती सम्हल गयी.. 

सुना था हमने , पारस का स्पर्श लोहे को भी ,दमकता सोना बना सकता है ...

हम तो प्यार से अनजाने थे हुजूर, आपसे जो मिल गए,मेरी जिन्दगी संवर गयी ..

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